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कमज़ोर सिग्नल्स

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शालिनी, चंडीगढ़

6 अप्रैल
नमस्कार! कैसी रही आपकी कल की शाम?
आपके शहर में भी पटाके चले क्या?
ये पटाखे फोड़ने वालों की और मशाल लेकर जुलूस निकालने वालों की गलती नहीं थी ।कोड को डिकोड करने में गलती हो गई उनसे ।कैसे? ये आगे पढ़्कर जानिएगा।
कल की पोस्ट में मैंने आपको बताया था कि पिछले कल ,रात को 9 बजे,नौ मिनट के लिए घर की बत्तियां बंद करके ।मोमबत्ती ,दिया ,टॉर्च की रोशनी ,मोबाइल की रोशनी किसी भी प्रकार की एक रोशनी जलाने का आवाहन था प्रधानमंत्री का।
प्रधानमंत्री ने जब लोगों से दीया जलाने की बात कही ,तो इस बात को ज़ोर देकर साफ़ शब्दों में कहा कि अपने घर पर ही रोशनी कीजियेगा ।लेकिन कहीं ये समझने में दिक़्क़त हो गई।
ख़ैर इसको में गलती नहीं कहुंगी क्योंकि देखिए गलती तो एक ही बार होती है ।जो दोबारा की जाए वो तो बेवकूफ़ी होती है ।हमारे भारतवासी बेवक़ूफ़ तो हो नहीं सकते।
तो मुश्किल कहॉ आ रही है ?बात क्यों समझ नहीं आती ?देखीए इसमें ऐसा है कि हर इंसान के रिसेप्शन सिग्नल्स एक दम सही काम करते हो,ये ज़रूरी नहीं है।
यह अलग -अलग फ़्रीक्वेंसी पे काम करते हैं। हाँ जी। हमारी देश कि जनता का एक हिस्सा अलग ही फ़्रीक्वेंसी पे चल रहा है।
सिगनल कि रिसेप्शन के प्रॉब्लम के चलते कोड ठीक से डीकोड नहीं हो पा रहा।ये जनता का वो हिस्सा है जिनसे मोदी जी चाहे कितनी भी सरल भाषा में शब्दों में कितना भी दबाव डालकर किसी बात को दोहराकर ही ना समझाएँ ।तो भी यहाँ तो सिगनल की प्रॉब्लम है ।उस धुँधली स्क्रीन पे कुछ दिखेगा और जो कुछ नहीं देखेगा उसे अपनी कल्पना से पूरा कर लेंगे।
आप कल शाम नौ बजे की विडियो देखिए ।सोशल मीडिया में बहुत सारी दिख रही है।
काल्पनिक रचनात्मकता ,अद्भुत।
जब नौ बजे पटाके चलने शुरू हुए ।तो मुझे लगा कि शायद ये चंडीगढ़ पंजाब में ही होंगे पर नहीं ये सिगनल कम वाला जनता का हिस्सा भारत के हर प्रदेश में ,हर ज़िले में ,हर गाँव में पाया जाता है। और इनका भावनात्मक जुड़ाव बस एक दीप प्रज्वलित करने से नहीं हो जाता ।कोई ज़ोर की आवाज़ ,शांत और सुंदर वातावरण को चीरती हुई निकल जाए और जो हवा ख़ुद को जल्दी -जल्दी साफ़ करने में लगी है ।उसमें ज़हरीला धुआँ घुल जाए ।तो पता चले कि सिगनल कम वाला हिस्सा अब जुड़ा है।
इससे पहले 19 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया था ।और उसी शाम पाँच बजे अपने घरों से ही थालिया बजाकर ,शंक बजाकर ,तालियां बजाकर समर्थन करने के लिए कहा था।जो लोग हमारा घर में रहना मुमकिन कर रहे हैं ।उनकी सराहना करने का आवाहन किया था।
कहाँ तो उस वक़्त भी गया था कि सोशल डिस्टेंसग को निभाएँ। सिर्फ़ अपने घरों की बालकनी से ,अपने घरों के आंगन से ही थाली ,शंख ,ताली ये सब बजाएँ।
पूरे दिन अच्छे से घर में रहने के बाद ,शाम को पाँच बजे ,देश में कई जगह ऐसा देखा गया कि लोगों ने 5 बजे जनता कर्फ्यू को ही कर्फ्यू लगा दिया। ये मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि बहुत सारी जगहों पर जुलूस निकले ।लोगों ने तालियां -थालियां बजाकर नाचा -गाया ।प्रधानमंत्री की ये बोलने के बाद भी कि अपने घरों से ही अभिनंदन के स्वर जोड़े ।ऐसा बहुत जगह हो नहीं पाया।

इस समय में जब बार -बार आपको डॉक्टर्स पुलिस वाले ,एडमिनिस्ट्रेटर , आपके लीडर्स ,आस पास वाले ,आपके बच्चे ,TV पर ,रेडियो पर हर जगह पर ये बता रहे हैं कि सोशल डिस्टेंसग ही आपको इस बीमारी से बचा सकती है ।आप अपने घर से कम निकलेंगे तो आपके देशवासी भी इस बीमारी से बच सकते हैं।
दोस्तों सिगनल उसका काम होना एक स्थाई समस्या नहीं है। आप कोशिश करेंगे तो इस समस्या से उभर आएँगे। एक बार कोशिश तो की जीत।
भगवान आपके सिग्नल्स को मज़बूत बनाएँ।

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