पर्र्टयन में परिवर्तन ।

Hindi Himachal Uncategorized

 नमस्कार।

भारत देश में हिमाचल  ख़ूबसूरती के लिए जाना जाता है। हिमाचल में बारह ज़िले  है।यह सभी 12 ज़िलों में एक अलग तरह की आकर्षित कर देने वाली ख़ूबसूरती देखने को मिलती है। हिमाचल में पर्यटन विभाग ऐसा महकमा है, जिसे प्रदेश में राजस्व लाने के लिए  बहूत कुछ नया बनाने की ज़रूरत नहीं है। क्योंकि कुछ नया बनाने की ज़रूरत है ही नहीं। लेकिन जो है ,उसे संभाल  की रणनीति बोहोत ज़रूरी है। हम ऐसा स्थल चुनते हैं जिसकी ख़ूबसूरत मन को लुभाती है। पर क्या ऐसे ख़ूबसूरत स्थलों को पर्यटक स्थल बना देना ही काफ़ी है? क्या हम क़ुदरत की ख़ूबसूरती की मर्यादा रख पा रहे हैं? या पर्यटक स्थलों को लेकर हमारी रणनीति चंद सिक्के पाले ने तक ही सीमित है?

मैं हिमाचल में काफ़ी घूमी हु। यहाँ पर मैं सुविधाओं की कमी नहीं देखती।लेकिन एक बेहतरीन सोच की कार्यान्वयन में कमी देखती हूँ।ऐसा कहने के लिए मेरे पास कई कारण हैं लेकिन आज मैं किसी पर भी उंगली न उठाते हुए  एक कारण को आपके सामने प्रस्तुत करूँगी।

इसे समझने के लिए आज मैं आपको अमेरिका घुमाने ले चलती हूँ।

, पर्र्टयन में परिवर्तन ।

अमेरिका के एरिज़ोना राज्य  के एक बहुत ही ख़ूबसूरत पर्यटक स्थल “होरस शु बेनड “के बारे में मैं आपको बताती हूँ । इस जगह में कमाल की ख़ूबसूरत है, यह एक मानने वाली बात है। पर समझने वाली बात ये है कि अापके पास  जितनी भी ख़ूबसूरत और अच्छी जगह क्यों न  हो अगर उस चीज़ को प्रस्तुत करने का तरीक़ा अच्छा नहीं है ,तो उस जगह की ख़ूबसूरती या उसका अच्छा होना नज़र नहीं आएगा।मैं “होरस शु  बेनड“ गई ।इस जगह की ख़ूबसूरती ने तो मुझे आकर्षित किया हि, लेकिन जो गहरी बार थी, उसको समझने का मज़ा अलग  ही था। मैं आपको समझाती हूँ। होरस  शू बेनड पहुँचने के लिए हमें तक़रीबन दो किलोमीटर रेतीली ज़मीन पर चलकर जाना होता है। हमारी गाड़ियां इस रेतीली ज़मीन से काफ़ी  पीछे खड़ी करवा दी जाती है। ये एक गर्म इलाक़ा है। यहाँ का तापमान   गर्मियों में  40-50 डिग्री सेल्सियस   बहुत आराम से पहुँच जाता है। अब आप इस बात को समझिए  कि जब दो किलोमीटर पीछे आपकी गाड़ी खड़ी हो और 50 डिग्री सेल्सियस  में अाप रेतिली ज़मीन पर चलकर किसी चीज़ को देखने जा रहे है।तो आपके मन में जिज्ञासा कितनी ज़्यादा बढ़ जाएगी।, पर्र्टयन में परिवर्तन ।

यह मानव मनोविज्ञान को समझ कर अपने पर्यटक स्थल को बेहद ही अच्छी तरीक़े से बढ़ावा देने की रणनीति है।हिमाचल से होने के कारण मैंने अपनी ज़िंदगी में ज़्यादातर पहाड़ ,नदियां और हरियाली ही देखी है।होरस शु बेनड के पास पहुंचकर कुछ सेकेंड के लिए मुझे ये मैं कुछ बोल ही नहीं सकी ।मुझे यक़ीन ही नहीं आया  की  ये वह जगह है जिसके लिए मैं इतनी दूर ,इतनी तेज गर्मी में इस रेतीली ज़मीन पर चलकर आ रही हु ? लेकिन फिर मन को बहलाया  और सोचा  कि कुछ तो होगा  इस जगह में ,तभी इतने लोग इतनी गर्मी में यहाँ पर पहुँचे हैं। ये जो इस जगह को बचाने के लिए और जैसी है वैसे ही बनाए रखने के लिए क़दम लिए हैं ,इससे ये तो ज़ाहिर है कि चाहे मुझे  यह जगह समझ  में न आई हो पर इस जगह में ज़रूर कुछ ना कुछ तो है। मेने भी वहाँ बहुत तस्वीरें ली। मन ही मन सोचा की गाड़ी में ही बैठी रहती तो भी कोई बुरी बात न होती पर चलो अब आए हैं तो यही सही।

, पर्र्टयन में परिवर्तन ।  , पर्र्टयन में परिवर्तन ।

ये बातें आपको इसलिए बता रही हूँ कि आज कल हिमाचल में पर्यटक स्थलों को बढ़ाने  और उभारने  कि बात की जा रही।जब हम अपनि  जगह की ख़ूबसूरती को किसी के सामने लाने की बात करते हैं  तो ये हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि उस जगह की ख़ूबसूरती के साथ उसकी इज़्ज़त बनी रहे।जब हम किसी भी जगह को उभारने के बारे में सोचते है, तो ये सोचना भी  ज़रूरी है कि उस जगह को इस तरह प्रस्तुत किया जाए की लोगों के मन में उसे देखने की, उसके बारे में जानने की उत्सुकता को वहाँ आने वाले हर पर्यटक के साथ बढ़ाया जाए। केवल जगह ख़ूबसूरत बनाना मक़सद नहीं होना चाहिए।

Spread the love

2 thoughts on “पर्र्टयन में परिवर्तन ।

  1. Hi there. Read your article. Thank you fro such an insightful work. Can we connect through email
    Please find my communication details-
    E mai: – dtiwari.psy@gmail.com
    Mob:- 9116038789
    Skype Name : Deepika.psy

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *