आज 8 अप्रैल हो गई है।लॉकडाउन खुलने का इंतज़ार नहीं है मुझे ।जब लॉकडाउन के दिन पूरे हो, तो उम्मीद करती हूँ ,हम सब की कोशिशें एक अच्छा नतीजा लेकर आए।
इक्कीसवीं सदी में रह रहे हैं ।अभी तक यही मान कर चल रहे थे कि साइंस ने इतनी तरक़्क़ी कर ली है कि अब कुछ भी मुमकिन है।
पर इस कोरोना वायरस ने सारी दुनिया के घुटने टेकवादीये है। एक संक्रमित इंसान अनगिनत लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है। ये भयानक से भी ज़्यादा भयानक है।
चाँद तक पहुँच जाने की हमारी उड़ान की रफ़्तार को धरती पर ज़िंदगी बचाने में तोड़कर रख दिया इस बीमारी ने।
इसलिए लॉकडाउन कब खुलेगा इसका इंतज़ार नहीं कर रही हूँ। सौ करोड़ से ज़्यादा लोगों को जितनी सुविधा दी जा सकती है।सरकार और सरकार के साथ जुड़कर अनगिनत लोग वो सुविधाएँ ज़रूरतमंदों तक पहुँचा रहे हैं। इस बात पर गर्व है मुझे।
यह एक असंभव चुनौती थी ।जिसे हम भारत वासियों ने मिलकर संभव कर दिया है।
कमियां हर चीज़ में होती है ।बहुत कोशिश करके भी कमी रह जाती है। पर इसका मतलब ये नहीं कि काम नहीं हो रहा।मदद नहीं पहुँचाई जा रही।
सभी सरकारी कर्मचारियों का जो इस वक़्त करूणा भाव सामने आ रहे हैं ।उसके लिए मैं ख़ास तौर पर उनका शुक्रिया करना चाहूंगी।पुलिस से पहले जहाँ एक डर महसूस किया जाता था ।आज ऐसी स्थिति बन गई है ।पुलिस एक कड़ी बन गई है लोगों और उनकी ज़िंदगी के बीच।
आज जब कोई किसी को खाना देता है।तो मुझे नहीं लगता है उसके मन में यह ख़याल आता होगा कि मुझे किस जाति या संप्रदाय के इंसान ने खाना दिया है? ये समय हमें हर उस बात को अनदेखा करना सिखा रहा है जिसका कभी मायने होनी ही नहीं चाहिए था।
ये कोई राजनीतिक बात नहीं है| हर देश की सरकार अपने देशवासियों को बचाने के लिए हर मुमकिन सुविधा उपलब्ध करवा रही है।
कई बार ऐसा महसूस करती हूँ कि सिर्फ़ उस सरकार का सत्ता में होना जो आपको पसंद नहीं है। वो आपकी अभद्र टिप्पणियों का लक्ष्य बनती है।
देश दुनिया के हालात देखकर अगर इस वक़्त हम सिर्फ़ हौसला बढ़ाने की बात करेंगे तो ये हम सबके हित में होगा।
यह वक़्त कमियां निकालने का नहीं है। वक़्त बहुत ज़्यादा धीरज रखने का है ।एक दूसरे का हौसला बढ़ाने का है ।दूरी ज़मीनी रही रहे, दिलों की दूरी का समय नहीं है।