, 2020 इस साल को शायद ही कोई भुला पाए

2020 इस साल को शायद ही कोई भुला पाए

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Written by Rohit Khanna

, 2020 इस साल को शायद ही कोई भुला पाए

2020 इस साल को शायद ही कोई भुला पाए , क्योंकि इस एक साल ने करोड़ो लोगो की ज़िन्दगी में ऐसा खलल डाला की वो थामे नहीं थम रहा है मीडिया कहती है कोरोना ने लाखों की जान ले ली पर मेरा नज़रिया इस विषय पे थोड़ा अलग है में यह कहूंगा की कोरोना ने सिर्फ लोगों की जान नहीं ली बल्कि लोगो के काम धंधे की भी जान ले ली।  

बात 4 मार्च 2020 की है में मुंबई में था पिछले 5 महीने में वहीँ पर था, मैंने  कुलचेवाला के नाम से एक रेस्टरान्ट लांच किया था सब अच्छा चल रहा था और हर रोज़ की तरह में 4 मार्च को सोके उठा तोह अपनी आदत अनुसार मैं फ़ोन पे न्यूज़ देख रहा था तभी मैंने देखा की न्यूज़ में हर जगह कोरोना के चर्चे थे इस से पहले की में कुछ सोच पाता के घर से फ़ोन की घंटी बजी.फ़ोन माँ का था मैंने राम राम किया तो माँ कहने लगी तू जल्दी चंडीगढ़ वापिस आ जा में समझ नहीं पाया और मैंने पुछा की क्यों क्या हुआ तो उन्होंने भी कोरोना का ज़िकर किया और कहा की खतरनाक महामारी है ऐसे समय पे तुम्हे बाहर नहीं होना चाईए !

अभी कुछ देर पहले ही मैंने न्यूज में पढ़ा और तुरंत माँ का कॉल , मेरा माथा ठनका और मैंने यह कहते हुए फ़ोन रखा की आप फ़िक्र न करें में अपना बिज़नेस छोड़ नहीं आ सकता।  लेकिन कुछ देर बाद जैसे मेरे मन ने कहा की माँ की बात नहीं टालनी चाहिए पर दिमाग कह रहा था की बड़ी मेहनत से बिज़नेस सेट हुआ है बंद नहीं करना चाईए हालाँकि ये मेरा इकलौता बिज़नेस नहीं था में मीडिया लाइन से हूँ और मेरा एक धर्मिक टीवी चैनल भी है इसलिए मैंने सोचा इस बार दिमाग की नहीं माँ की सुनी जाए और चंडीगढ़ जाकर अपने टीवी बिज़नेस को ही सम्भला जाये क्योंकि जान है तोह बिज़नेस तो फिर शुरू हो ही जायेगा।  

और मुंबई में अपना घर है कभी भी वापिस आ सकते है यह सोचते हुए मैंने फटाफट अंकल को फ़ोन लगाया जिनकी जगह हमने होटल के लिए किराये पे ली थी और कहा अंकल में कल जा रहा हूँ वो मेरी बात से इतने हैरान हुए और कहा की अपना सेट बिज़नेस कौन छोड़ता है क्या हुआ अगर में उन्हें कोरोना के विषय में कहता तो शायद उस वक़्त मेरी हंसी उड़ा देते क्योंकि बहुत काम मामले थे उस वक़्त देश में और मुंबई तो एक भी नहीं था।

 इसलिए मैंने घर में किसी दिक्कत का बहाना बनाया और फ़ोन काटते ही टिकट बुक की और एक ही दिन में सब समेट वापिस आ गया लाखों का नुक्सान होने की टीस मेरे मन में थी और चंडीगढ़ आने के बाद में कई दिन तक पूरे परिवार से उखड़ा उखड़ा रहा क्योंकि मुझे लग रहा था की मेरा फैसला गलत था मुझे वापिस नहीं आना चाईए था , पर जैसे ही हम 20 मार्च के करीब पहुंचे तो सारा दृश्य ही पलट गया कोरोना पूरे देश में तांडव कर रहा था ख़ास कर मुंबई में , अब में थोड़ा सम्भला फ़्लैश बैक में गया और सोचा की अगर में मुंबई से ना आया होता तोह आज व्हाना बुरा फसा होता !

बिज़नेस तो अब भी बंद होता और बिना परिवार के वहां फसता अलग , अब में मन ही मन भगवान् और माँ का शुक्रिया कर रहा था , यह सच है की कोरोना मेरे बिज़नेस को मार चूका था पर यह भी सच है की में अभी ज़िंदा हूँ , और भगवान् ने चाहा तो फिर से मुंबई जाकर नै शुरुवात कर सकता हूँ।

 पर लोखडाउन के यह दिन यहाँ भी आसान नहीं है कोरोना ने ज़िंदगियाँ बदल दी।  ज़िन्दगी में पहली बार देख रहा हूँ इंसान इंसान से डर  रहा है।  कोई किसी के नज़दीक आने भर से डर  रहा है। कोरोना ने यह बता दिया बॉस इंसान नहीं कुदरत ही है जिसके एक ना दिखने वाले छोटे से विषाणु ने दुनिया भर को घरों में कैद कर दिया।  मेल मिलाप और प्यार मुहब्बत की फिलॉसफी को सोशल डिस्टन्सिंग में बदल दिया।  कुछ कोरोना से मरे,,, कुछ कोरोना के डर से मरे और अभी मौत का खेल जारी है। लाखों लोग बेरोज़गार हो चुके है लाखों होने की कगार पर है। लाखों लोग अपने परिजन खो चुके है और गिनती अभी जारी है।  ज़रुरत कह रही है घर से निकलो काम है ,,,पर परस्थितिया कह रही है घर पे रहो बाहर  कोरोना का हाहाकार है।

.. कश्मकश जारी है। .. भगवान् जनता है रक्तबीज की तरह बढ़ते जा रहे इस कोरोना नामक इस राक्षश को मरने के लिए प्रभु कब आएंगे।  बस सांत्वना है उन् सब के लिए जिन्होंने अपनों को खोया है और प्रार्थना है उन् सबके लिए जल्द स्वस्थ होने की  जो इस राक्षश से अभी पीड़ित है और दुआ उस रब से की दुनिया  समझ गई  की हम कहाँ गलत थे अब आप इस कोरोना नामक राक्षश का वध करें और टंकी लोग एक बार फिर से एक खुशहाली भरी ज़िन्दगी जी सकें 

 

 

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