, मैं भी एक सिपाही हूँ

मैं भी एक सिपाही हूँ

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मैं एक छोटा बच्चा हूँ,
आज कल खेलने नहीं जाता हूँ।
पार्क में झूले ,दोस्तों के साथ पकड़म -पकड़ाई,
याद तो बहुत करता हूँ।
पर इस वक़्त मेरे देश की कोरोना के साथ लड़ाई है,
और घर पर रहकर मैंने अपने देश को इस लड़ाई में जीत दिलाने की क़सम खाई है।
क्योंकि मैं भी एक सिपाही हूँ!

घर -घर कूड़ा इकट्ठा करने जाता हूँ,
देश के कण -कण में रखनी सफ़ाई है।
क्योंकि ये वक़्त है मुश्किल ,बाहर महामारी की काली हवाएँ छायी है,
माँ की आँखें , पत्नी की आस कहती है घर पर रह जाओ ।
कूड़ा ही तो है कुछ दिन बाद ,जब हालात संभाल लेंगे तब लेने चले जाना।
पर इस वक़्त मेरे देश की कोरोना से लड़ाई है,
और मैंने इस महामारी से देश को जीत दिलाने की क़सम खाई है।
सफ़ाई कर्मचारी हूँ ,मैं भी एक सिपाही हूँ।

खाखि का रोब और उसका ग़ुस्सा तो सबने देखा था।
पर अब उसकी नरमी सबके मन परछाई है,
कोई भूखा ना सो जाएं, कोई सिसकी अनसुनी ना रह जाए,
यह क़सम मैंने खाई है।
क्योंकि मेरे देश की कोरोना के साथ लड़ाई है ,और मैंने इस लड़ाई में देश को जीत दिलाने की क़सम खाई है।
पुलिस वाला हूँ ,मैं एक सिपाही हूँ।

उद्योग पति हूँ ,पैसे से पैसा खींचता हूँ।
मुनाफ़ा देखने की मुझको आदत है।
इस बार भी मैं मुनाफ़ा खाऊँगा।
इस बार ज़िंदगी में इंसानियत कमाने की बारी है।
ये देश है मेरा, ये लोग है मेरे ,
अब मिल के जंग ज़िंदगी की जीतने की बारी है।
हर हाथ में निवाला होगा ,ये क़सम मैंने खाई है।
क्योंकि मेरे देश की कोरोना के साथ लड़ाई है ,
और इस लड़ाई में देश को जीत दिलाने की क़सम मैंने खाई है।
उद्योगपति हूँ मैं ।मैं भी एक सिपाही हूँ।

मैंने अपने परिवार को ,आपके सहारे छोड़ा है।
उम्मीद है आप सब को ठीक करके ,मैं भी अपने घर जाऊँगा।
आप अपना साथ देना मैं अपना फ़र्ज़ निभाऊंगा।
डॉक्टर हूँ मैं ,आपकी सांसे ना थमने देने की क़सम मैंने खाई है।
मेरे देश कि कोरोना के साथ लड़ाई है,
और इस लड़ाई में देश को जीत दिलाने की क़सम मैंने खाई है।
क्योंकि मैं भी एक सिपाही हूँ।

हर रोज़ वोक पर जाता था,
हर रोज़ कुछ लोगों से दुआ सलाम ,कभी -कभी उनके साथ चाय का गिलास भी पी लेता था।
उम्र तो तेज़ी ही बढ़ रही थी ,पर दिन की रफ़्तार को उनकी बातों के साथ धीमा कर आता था।
पर आज कल घर में रहता हूँ।
खाना हल्का खाता हूँ और दुआओं में सबको याद करता हूँ।
क्योंकि मेरे देश की कोरोना के साथ लड़ाई है ,
और इस लड़ाई में उसे जीत दिलाने की क़सम मैंने खाई है ।
तुम्हारा बुजुर्ग हू मैं और मैं भी एक सिपाही हूँ।

भारत के हर दफ़्तर ,हर दुकान ,हर घर ,हर मकान में रहता हूँ।
भारत का देशवासी हूँ। सवा करोड़ हूँ।
जज्बे और जान में सबसे ज़्यादा हूँ।
अब दुनिया देखेगी कि मैं कैसे जीत जाता हूँ।
क्योंकि मैं हर भारतवासी में मैं रहता हूँ ,
मैं एक सिपाही हूँ।

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