सेब के उत्पादन में भारत दुनिया का पांचवें नंबर पर आने वाला देश है। आंकड़ों को देखा जाए तो पिछले काफ़ी वर्षों में सेब की पैदावार में बढ़त केवल 1% ही हुई है! भारत में सबसे ज़्यादा सेब की पैदावार जम्मू- कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल- प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में होती है।
जम्मू- कश्मीर से भारत का 80% सेब आता है। मोटे तौर पर देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश और जम्मू- कश्मीर का सेब उत्पादन करने वाला क्षेत्र लगभग बराबर ही है। लेकिन जम्मू- कश्मीर हिमाचल प्रदेश से पाँच गुना ज़्यादा सेब उगाता है।
भारत सेब की पैदावार में पांचवें नंबर पर है ।पर फिर भी दो लाख टन सेब इंपोर्ट करता है।
ये इसलिए क्योंकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या भारत में रहती है ।मतलब खपत भी बहुत है।
दुनिया में सबसे ज़्यादा सेब चाइना में होता है। 2017 जून से पहले तक चाइना से भी सेब भारत में इंपोर्ट किया जाता था। उसके बाद चाइना से भारत में सेब के इंपोर्ट पर रोक लगा दी गई।
ये रोक इसलिए लगायी गई क्योंकि तब तक भारतीय सरकार ने यह समझ लिया थाकी चाइना और अमेरिका ,भारत में सेब के इंपोर्ट पर हावी हो रहे है। इसलिए अमेरिका पर तो नहीं लेकिन चाइना पर 2017 में सेब के इंपोर्ट पर रोक लगा दी गई।
दुनिया में सेब लगाने वाले सबसे बड़े देश है। चाइना, इटली और अमेरिका।इन्हीं देशों से पूरी दुनिया में सबसेद ज़्यादा सेब का एक्सपोर्ट भी होता है। इसी तरह दुनिया के सबसे बड़े सेब के इंपोर्टर करने वाले देश है।रशिया ,जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम।
यह माना जाता है कि से चार हज़ार साल पहले मिडले इंस्टी में पहली बार सेब लगाया गया था।
व्यावसायिक रूप से सेब दुनिया में लगाए जाने वाला केले, संतरे और अंगूर के बाद चौथा फल है।
हिमाचल प्रदेश का सेब गुणों से भरपूर है। इसलिए भारत सरकार की तरफ़ से लगातार कोशिश की जा रही है कि भारत के सेब को दुनिया के बाक़ी देशों में पहुंचाया जाए।इसी कोशिश के अंतर्गत हिमाचली सेब की पाँच किसमें जो रॉयल डिलिषियस, डारक बेरैन गाला, स्कार्लेट सपृ और गोल्डेन डिल्लीशेयस को इस साल की अगस्त में बाहरेन भेजा गया।
हिमाचल प्रदेश की इकॉनमी में सेब का योगदान प्रति वर्ष 5,000करोड़ से ज़्यादा रहता है।
यहाँ पर तक़रीबन 1.75 लाख परिवार सेब पर निर्भर करते हैं। शिमला , कुल्लू और किन्नौर में हिमाचल का 70% सेब लगाया जाता है।
हिमाचल प्रदेश में सेब के बाग़ान तक़रीबन 1.25 लाख हेक्टेयर में फैले हैं।
हिमाचल प्रदेश में अडाणी कम्पनी सेब के बागान से ही सेब ख़रीदती है। लेकिन वो पूरी पैदावार का केवल 3%-4% ही लेती है। अडानी कंपनी ने 2011 में 65 रुपए में’ ए’ ’गरेड सेब ख़रीदना शुरू किए थे। 2020 में इसकी क़ीमत 88 रुपये की गई और इस साल 2021 में इसे घटाकर 72 रुपये कर दिया गया।
जिसकी वजह से सेब के किसानों में गहरा रोष है।
हिमाचल प्रदेश में सेब को बेचने के लिए कई वर्षों से नए तरीक़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसमें से एक बहुत ही उम्दा तरीक़ा ,जो दोनों सेब लगाने वाले के लिए और सेब ख़रीदने वाले के लिए फ़ायदेमंद है वो डायरेक्ट सेब ख़रीदने वालों तक सेब के बाग़ीचे से ही उन्हें पहुँचा देना है।
इस तरीक़े के कई फ़ायदे हैं। पहला तो ये कि आपको ताज़े पल आपके घर पे ही मिल जाते हैं। दूसरा , जो किसान की बड़ी शिकायत रहती है कि उन्हें दाम कम मिलते हैं और बाज़ारों में उन्हीं का फल दोगुने या तिगने दाम में बेचा जाता है। उससे भी राहत मिलती है। तीसरा पल ख़रीदने वालों के लिए बहुत बड़ा फ़ायदा कि उनको ताज़ा फल जायज़ दामों में मिलता है।
सेबी एक बहुत उम्दा फल है। इसे खाने के कई फ़ायदे हैं। ये न सिर्फ़ शरीर में बड़े हुए बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है ।सेब खाने वाले के ब्लड प्रेशर को भी सीमा में रखता है। सेब खाने से पाचन शक्ति भी मज़बूत होती है। सेब खाने से बीमारियों के ख़िलाफ़ शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र भी तेज होता है।
कई लोगों को ये भ्रम है कि मीठे फलो मैं सेब खाना भी शुगर की बिमारी में नुक़सान करता हैं। हालाँकि ऐसा है नहीं है।सेब खाने से शरीर में इनसोलिन की मात्रा कंट्रोल में रहती है। टाइप टू डायबिटीज़ वाले भी सेब का आनंद ले सकते हैं और अपनी सेहत बढ़ा सकते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट रहते हैं। शरीर में होने वाले कई तरह के कैंसर के ख़िलाफ़ सेब के गुण लड़ते हैं। फेफड़ों की सेहत के लिए से ख़ास तौर पर उपयोगी है। ये केवल आपको सेहतमंद ही नहीं बनाता। सेब खाने वालों के सुंदर बाल और चमकदार त्वचा होती है ये माना जाता है। इसमें विटामिन ‘बी’ और ‘सी’ भरपूर रूप से होते हैं।
बहुत लोग वज़न कम करने के लिए जूझ रहे होते हैं ।सेब खाने से शरीर का वज़न भी कम होता है। ये हृदय रोग को भी कम करता है।
पूरी दुनिया में चौथे नंबर पर उगाए जाने वाले इस फल के फ़ायदे अद्भुत है। भारतीय सेब एक सुपर फ़्रूट है।
इसे अपनी रोज़ाना के खाने में में ज़रूर इस्तेमाल करें।
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